महेंद्र सिंह ✍️
एक वर्ग है इस देश में और उसका एक मात्र मकसद होता है अपना स्वार्थ सिद्ध करना,,,
- आज़ादी से पहले राजपूतो का जयकारा लगाता रहा ये वर्ग ,, उसका सहयोगी बना रहा,, पूंजीपति वर्ग का सहयोग लेता रहा,, राजपूतो और हिन्दुओ की अन्य जातियों के बीच इस वर्ग ने हमेशा दूरी बनाये रखी, राजपूतो को चढ़ाये रखा,, अंटशंट साहित्य रचकर, झूठी झूठी बाते बोलकर राजपूतो को बेवरकूफ बनाया गया
- => फिर देश आजाद हो गया,, पुराना शासक वर्ग अब शासक नहीं रहा,, अब उसकी क्या जरूरत थी ?,,, उसे साइड में बैठा दिया गया,, पूंजीपति से गठजोड़ जारी रहा इस वर्ग का,,, तू मुनाफा कमा और मुझे सत्ता दे दे,, इस सिद्धांत पर काम चलता रहा,,, राजपूतो को इस वर्ग ने हमेशा से अपने राजनैतिक रास्ते का रोड़ा माना ,,,, एक सामाजिक और धार्मिक चक्रव्यूह में राजपूतो को फंसाया गया, जिससे राजपूत अभी भी नहीं निकल पा रहे है,,
- हां एक बात है ये वर्ग राजपूतो का जयकारा आज भी लगाता है,,, इस वर्ग से सावधान रहे राजपूत , क्योंकि इसका एक मात्र मकसद अपना स्वार्थ सिद्ध करना होता है
- अब लोकतंत्र है इस देश में , अब सभी वर्गों का समर्थन चाहिए,,, इसलिए ज्यादातर दलितों और आदिवासियों को क्षत्रिय घोषित किया जा रहा है,, उनका समर्थन लेने के लिए उन्हें भी बेवक़ूफ़ बनाया जा रहा है
इस धूर्त वर्ग की पहचान करे राजपूत और इस वर्ग की धूर्तता से सावधान रहे
आपकी बात 100% सही है. इस वर्ग ने राजतंत्र मे राजाओ को घेरे रखा ! उस दौर मे ये रक्त सबंधी सामंतो को भी राजा से दूर रखते थे ! जयपुर रियासत की शहर के आसपास की हजारो बिघा उपजाऊ जमीने मंदिरो के नाम पर अपने कबीलो को इसी वर्ग की धुर्त जमात ने दिलवाई. आम जनता ओर राजपूत शासक वर्ग के बीच बड़ी चालाकी से दूरियां पैदा की….
1900 सदी मे जब कोंग्रेस उठ रही थी तो राजा के साथ भी यही थे ओर राजतंत्र विरोधी प्रजा मंडलो के नेता भी इसी वर्ग के रहे …. आजादी के बाद राजपूत विरोधी कोंग्रेस के शीर्ष नेता भी यही थे ओर कोंग्रेस विरोधी ज़न संघ के नेता भी इसी वर्ग के रहे !
आज भी अंदर खाने यही वर्ग अन्य जातियों को हमारे खिलाफ बहका रहा है ओर हमारे साथ भी जुडा है….
लेकिन इस वर्ग की सबसे बड़ी नीती ये है की वो कभी अपने शत्रु को शत्रु नही बोलता ! वो अत्यंत विनम्र ओर सम्मान देने मे यकीन करने वाला वर्ग है ! वो मीठा बोलकर… अंदर घुस कर अपना स्वार्थ निकालने मे यकीन रखता है… इस वर्ग के 15 साल के बच्चे को भी बताना नही पड़ता की किसको मीठा बोलकर रगडना है…
हमें भी चाहिय की खुले मे हम कभी इनके विरुद्ध एक शब्द ना बोलें… इन्हे पूरा आदर दें… इनका यथासंभव राजनितिक उपयोग करें…ओर सावधान रहें…. कोई भाई कभी भी फेसबुक पर इनके विरुद्ध लिखने की भूल ना करें… शत्रु अगर बुद्धिमान है तो हमें भी अपना विवेक जाग्रत करना चाहिय..