Rajanyas Chronicles ✍️

#राजतन्त्र की भावना लेकर, लोकतंत्र में अस्तित्व बचाना ,नामुमकिन है…#अगर लोकतंत्र में जीना है,तो सिस्टम में घुसना ही पड़ेगा . बाहर से आप सिर्फ छटपटाते रहेंगे,जीत नही सकते….#क्षत्रियों की आदत है कि सिस्टम से बाहर निकलकर लड़ाई करते हैं। और फिर हारकर निराश होते हैंजबकि और सभी लोग धीरे-धीरे सिस्टम पर कब्जा करते हैं । तब हमला बोलते हैं। युद्ध लड़ने से पहले हथियारों की आवश्यकता होती है। वर्तमान लोकतंत्र के हथियार सत्ता, कलम, मीडिया ,प्रशासन ,व्यापार एवं राजनीतिक संगठन,और जातिगत लॉबी हैं। ,कलम मीडिया ,प्रशासन एवं व्यापार में हमारी उपस्थिति ना के बरावर है।इसलिए हम हमेशा मात खाते हैं, इन्ही बजह से हम पर अन्याय होता है, चाहें वो हमारे नेताओं को बदनाम कर उनकी राजनीति खत्म करना हो , या उनको जेल में डालना हो, या फिर हमारे किसी भी मुद्दों को सरकार का सहयोग ना मिलना हो. या फिर मनगढ़ंत फर्जी SC/ST केस का लगना हो…
1● हमने कलम नही उठाई इसलिए महान सम्राट जयचन्द्र , सनातन धर्म रक्षक मानसिंह, दूरदर्शी राजनैतिग वीपी सिंह गद्दार हो गए .
2● हमने प्रशासन में पकड़ नही बनाई,आज हमारी कोई नही है वँहा सुनने वाला,किंयु वँहा भी जातिगत खेल चल रहा है.
3● हमने मीडिया में पकड़ नही बनाई इसलियेमीडिया ने हमे ,फिल्मो द्वारा बदनाम कर दिया, फूलनदेवी से हमारा कोई लेना देना नही था,फिर भी उसके ताने आज तक सुन रहे हैं.
4● राजा भैया जैसे लोग ,जो 1000 गरीब कन्याओ की शादी करा चुके हैं, इस मीडिया ने उन्हें गुंडा घोषित कर दिया.
5● इसी मिडीया ट्रायल की बजह से खुद नार्को टेस्ट कराने की अपील करने वाले कुलदीप सेंगर फर्जी केस में आज जेल में है….
6● पद्मावत मुद्दे पर मीडिया द्वारा हमे लज्जित करना.ये सब हथियार हैं ,लोकतंत्र के जिन्हें हर कोई use करता है…. पर हमारे पास लोकतंत्र का कोई हथियार नही है..हमारा स्वयं का कोई राजनीतिक संगठन नहीं है ना हमारे पक्ष में बोलने वाली।कोई मीडिया ना प्रशासन के लोग ,चाहें हम कितना भी सच बोलें, कोई नही है सुनने वाला..हमारा कोई एक राजनैतिक गमम्भीर संगठन तक नही है, जिसके माध्यम से एक राजनीतिक प्लेटफार्म उपलब्ध हो सके ।जिससे कि स्वयं के द्वारा निर्धारित नीतियों के आधार पर आक्रामक राजनीति की जा सके। अभी तो हम दूसरों की नीतियों के गुलाम है.. हमसे कम आबादी वाली जातियों के भी स्वतंत्र राजनीतिक संगठन हैं। लेकिन एक जाति के रूप में सर्वाधिक आबादी वाले क्षत्रियों के पास कोई स्वतंत्र राजनीतिक संगठन नहीं है। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने स्वतंत्र राजनीतिक संगठन बनाया था ।स्वतंत्र राजनीतिक संगठन के बल पर पूरे देश में 178 लोकसभा सीटें प्राप्त की थी । विश्वनाथ प्रताप सिंह ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं। जिन्हें भारत के अधिकांश राज्यों के क्षेत्रीय दलों के मुख्यमंत्रियों द्वारा स्वेच्छा से राजनैतिक समर्थन प्रदान किया गया था । विश्वनाथ प्रताप सिंह के बाद से क्षत्रियों में कोई ऐसा राजनेता नहीं हुआ ,जिसने स्वतंत्र राजनीतिक संगठन निर्माण की पहल की हो। अब तो क्षत्रियों को विभिन्न राजनीतिक दलों में पिछलग्गू बनकर राजनीति करना ज्यादा रास आ रहा है। इसमे जितना हम दोषी हैं,उससे 2 कदम ज्यादा हमारे नेता दोषी है.सभी समस्याओं का उपाय इसी थ्योरी में है….इन्ही हथियारों से अस्तित्व बचा सकते हो ,आगे आपके ऊपर ….#राजन्य_क्रोनिकल्स_टीम