
सुशांत की मौत का जिम्मेदार उसके नाम के साथ लगा ‘राजपूत’ था। इस भारत राष्ट्र राज्य में राजपूत सबसे ज्यादा उत्पीड़ित जाति है। Establishment के साथ बॉलीवुड और मेंस्ट्रिम मीडिया किस तरह राजपूत फोबिया से ग्रस्त है ये समय समय पर दिखता रहता है। कंगना र औनणौत का उदाहरण सामने है। किस तरह रविन्द्र जडेजा द्वारा सिर्फ राजपूत लिख देने से उसको बेइज्जत किया यह सबने देखा।
किस तरह मेंस्ट्रीम मीडिया में खुलेआम राजपूतों के खिलाफ लिखा जाता और अन्य जातियों का तुष्टिकरण होता है यह भी प्रत्यक्ष है। किस तरह सच्ची कहानियों को भी तोर-मरोड़ कर राजपूतों को विलन बनाया जाता है – यह आप अनुभव सिन्हा की “आर्टिकल 15” या शेखर कपूर की “बेंडिट कुइन” में साफ़ देख सकते हैं।
यह दोनों गुट – मीडिया और सिनेमा किसी का भी करियर खत्म कर सकते हैं और किसी भी समाज को मुख्यधारा से काट सकते हैं। उदाहरण : स्क्रॉल द्वारा राजपूतों के खिलाफ “defeat specialist” का नरेटिव हो या अलाउद्दीन खिलजी को समाजवादी दिखाने हेतु राजपूतों के खिलाफ किसी शर्मा द्वारा जघन्य नेरिटिव चलाना । इसी राजपूत फोबिया का शिकार पहले चंद्रचूड़ और कंगना बने,और अब सुशांत बना है। आज यही बॉलीवुड और मीडिया सुशांत सिंह “राजपूत” की मौत पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। 50% बॉलीवुड तो पहले दिन से ही सुशांत सिंह के नाम के साथ “राजपूत” देखकर चिढ़ता है , खासकर नेपोटिज्म लॉबी।
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