Pushpendra Rana ✍️

ट्रेंड वगैरह कराने से इतिहास नही बचेगा। इतिहास बचाना है तो वर्तमान मजबूत करो।
मराठो को फर्क नही पड़ता अगर कोई शिवाजी को किसी और जाति का बताए। जाटो को फर्क नही पड़ने वाला सूरजमल को किसी और जाति का बताने पर। क्योंकि उन्हें पता है कोई इक्का दुक्का कुछ भी बोल भी ले लेकिन किसी बड़े मीडिया संस्थान या अकादमिक संस्था या राजनीतिक संगठन या हस्ती में हिम्मत नही उनके खिलाफ जाने की।
वर्तमान मजबूत करने के लिए जातिगत और राजनीतिक चेतना का निर्माण करना जरूरी है।
अब तक ये हमारी सोच थी कि एलीट को सामाजिक मुद्दों पर सचेत किया जाए। लेकिन यह अब संभव नही लगता। इस समाज मे अगर कुछ एलीट हैं भी तो उनकी समझ इतनी गई बीती है कि उनपर समय बर्बाद करने का कोई मतलब नही।
अब ये ही उम्मीद है कि नई पीढ़ी को जागरूक किया जाए और अगले 10-15 साल में समाज को नया एलीट मिले।
और जातिगत और राजनीतक चेतना के लिए सबसे जरूरी है कि राजपूत समाज आसमान से उतर कर जमीन पर आए। इतिहास के बजाए वर्तमान की बात करे। राष्ट्रीय मुद्दों की बजाए लोकल की बात करे।
कई साल के अनुभव के बाद में इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि राजपूत समाज मे जातिगत चेतना का विकास इसीलिए नही हुआ क्योंकि राजपूतो की अपने समाज के बारे में, इतिहास के साथ ही अपने वर्तमान के बारे में ज्ञान या जानकारी बेहद कम है।
क्योंकि जातिगत चेतना के जागृत होने के लिये अपनी जाति समाज का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। इतिहास का ज्ञान तो जरूरी है ही लेकिन उससे भी ज्यादा अपने गांव, तहसील, जिले के समाज का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। अपने गांव, जिले में समाज की राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक हालत क्या है इसका ज्ञान होना बहुत जरूरी है। कहाँ कितने गांव, कितने वोट, कौन कौन जनप्रतिनिधि, कितने बिजनेसमैन, समाज के प्रभावशाली व्यक्ति, इन सब चीजों का ज्ञान होना जरूरी है।

इतिहास में भी सिर्फ महापुरुषों की जीवनीया नही बल्कि अपना स्थानीय इतिहास, स्थानीय राजनीतिक इतिहास, सांस्कृतिक इतिहास, आर्थिक इतिहास की जानकारी होनी जरूरी है। कब और क्या हुआ नही बल्कि क्यों, कैसे हुआ और उसके समाज पर क्या प्रभाव पड़ा ये जानना जरूरी है।
अगर आप अन्य समाजो के ग्रुप या पेज देखोगे तो उनमे वो लोग स्थानिय राजनीति, संस्कृति, व्यक्तित्वों पर चर्चा करते दिखेंगे जबकि हमारे समाज के ग्रुप और पेज इतिहास और राजा महाराजो से ही बाहर नही निकलते। इतिहास में भी कुछ महापुरुषो की जयंतिया मनाने तक समाज को सीमित मान लिया गया है।
कुछ 2-4% हमारे ग्रुप जैसे कभी राजनीतिक और सामाजिक बात भी करते हैं तो वो राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय😅 लेवल की ही होती है, लोकल बात नही होती। और उसमे भी वैचारिक बात ज्यादा होती है सूचना या जानकारी बेहद कम होती हैं।
हमारे समाज के लोग खुद के विषय मे घनघोर अज्ञानता से ग्रस्त हैं चाहे वो शहरी एलीट हो या ग्रामीण। और शहरी एलीट तो ज्यादा ही। वरिष्ठ लोगो तक को ये तक नही पता होता कि उनके खुद के जिले में राजपूत कहाँ और कितने हैं, क्या हालत है, राजनीति से जुड़े राजपूतो तक को पता नही होता कि उनके खुद के जिले में राजपूतो की आबादी और वोट कितने हैं। राजपूत लोग महाराणा प्रताप, हिंदुत्व और मोदी से नीचे उतर इन सबके बारे में कभी सोचते ही नही। स्थानीय प्रधान, विधायक से लेकर राज्य सरकार तक उनकी जड़े काटती रहती है लेकिन राजपूतो को पता ही नही चलता। जब तक अपने समाज के प्रति ज्ञान(awareness) नही होगा तब तक जातिगत या राजनीतिक चेतना होना असंभव है। समाज के वर्तमान के बारे में ज्ञान का प्रसार कर ही जातिगत चेतना का विकास किया जा सकता है।
जब स्थानीय मुद्दों के बारे में बात की जाती है या जानकारी दी जाती है तब वो लोग भी उसमे रुचि लेंगे जो सामान्यतः इतिहास से जुड़ी पोस्ट पर सिर्फ जय राजपूताना कह कर निकल जाते हैं। तभी लोग सिर्फ सीधे भारत पाकिस्तान मुद्दे के बजाए अपने स्थानीय समाज के बारे में सोचेंगे। इसके लिए कोई राजनीतिक बाते करने की जरूरत नही है। किसी सरकार की आलोचना या समर्थन करने की जरूरत नही। सिर्फ ज्ञान का प्रसार करना है। लोगो को स्थानीयता का ज्ञान होगा तो लोग खुद सोचेंगे। स्थानीय स्तर पर एक दूसरे से जुड़ेंगे। स्थानीय स्तर पर लोगों में सामुदायिकता की भावना का विकास होगा।
अभी तो जौनपुर के किसी व्यक्ति को गुजरात के मध्यकालीन योद्धा भानजी दल जाडेजा का तो पता है लेकिन अपने जिले की राजनीति की कोई जानकारी नही। बिहार के गया का राजपूत राजस्थान के चुतर सिंह के मुद्दे पर आक्रोशित है लेकिन कर कुछ नही सकता क्योंकि स्थानीय स्तर पर सामुदायिक रूप से किसी से जुड़ा हुआ नही। स्थानीय स्तर पर कोई सामुदायिकता या सहोदर की भावना नही।
इसलिए मेरी सभी से अपील है कि महापुरुषों और उनकी जयंतियों को थोड़ा पीछे रख के अपने विधानसभा, जिले, क्षेत्र के बारे में लिखे। वहां के इतिहास के साथ राजनीति, जनसंख्या, संस्कृति, प्रभावशाली व्यक्तित्व के बारे में लिखे। ठेका, पट्टा, ट्रांसपोर्ट, रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में समाज के लोगो के प्रभाव के बारे में खुलकर लिखे। सरकारी नौकरियों और प्रशासन में समाज की हालत के बारे मे लिखें। तभी लोग इन सबके बारे में सोचेंगे और तभी सामुदायिक चेतना का विकास होगा।
जब समाज के बारे में ऐसे ज्ञान और चेतना से परिपूर्ण लोग आने वाले समय मे अधिकारी, नेता, व्यापारी बनेंगे तभी समाज का कल्याण होगा।
नही तो समाज के अभी के अधिकारी और नेताओं के सामाजिक ज्ञान का सबको पता ही है।